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Friday, May 1, 2020

Hindi Poem | सफर मेरी रूह का | Motivational Shayari | kamal jaat |

Hi Guys 

नमस्कार दोस्तों आज हम इस ब्लॉग में पढ़े गए । लव लाइफ के बारे में ऐसा नही है कि डांस के पेज होने के नाते बस इसपे डांस से सम्बंधित पोस्ट ही आयगी ।

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पे आपका स्वागत है इस ब्लॉग मैं आज हम जानेंगे कि  तन्हाई रास ना आए । एक ऐसी कविता जो हर युवा शक्ति को अपनी बात की जान महत्व और बढ़ावा देती है
ओर तन्हाई में एक डांसर ओर कोरियोग्राफर कैसे खुद की creativite को प्रकट करता है ।

इस कविता के लेखक श्री कमल जी जाट ने बहुत ही अच्छी पंक्तिया लिखी है कि .......
                         
                          सफर मेरी रूह का

सफर मेरी रूह का कुछ लफ्ज़ो में ही सिमट गया ।
इस वीणा को झंकृत कर एक स्वर अधर ही छिटक गया ।

जो अधर सजे कभी जिस बंशी से
और निज नैनन में रास रचा
डाल डाल और पात पात पर
बस जिनका मुखड़ा सजा
वीरान हो गया वो कुंज अब
बस खाली झुरमुट रह गया

सफर मेरी  रूह का कुछ लफ़्ज़ों में ही सिमट गया
इस विणा को झंकृत कर एक स्वर अधर ही छिटक गया।

झलक उसकी देख जब बेकाबू हुआ दिल- ऐ- नादान
तब बंजर जमी में भी खिल गया गुलिस्तान
कहि गुम हो गई वह महक अब सूना उपवन रह गया ।

सफर मेरी  रूह का कुछ लफ़्ज़ों में ही सिमट गया
इस विणा को झंकृत कर एक स्वर अधर ही छिटक गया ।

भ्रमर हुआ कभी गुंजायमान जिस नखलिस्तान में
लहराती थी हरयाली जिस खलिहान में
हुई परसो की बात वह,अब बिन पावस ही रह गया ।
सफर मेरी रूह का कुछ लफ़्ज़ों में ही सिमट गया
इस वीणा को झंकृत कर एक स्वर अधर ही छिटक गया

युवा कवि-
कमल जाट
अलवर राजस्थान

4 comments:

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